आज हम जानेंगे IPO का फुल फॉर्म क्या होता है? (IPO Full Form In Hindi) के बारे में क्योंकि हर व्यक्ति अपने पैसे को बचाने के साथ-साथ उसे ऐसी जगह इन्वेस्टमेंट करने के बारे में सोचता है, जहां पर उसके पैसे सुरक्षित रहें और उसे ब्याज भी मिलता रहे। ऐसे में कई लोग अपने पैसों को बैंक में फिक्स डिपॉजिट में डाल देते हैं, वहीं कई लोग ऐसे होते हैं जो अपने पैसे को शेयर बाजार में इन्वेस्ट करते हैं। वैसे तो शेयर बाजार को रिस्क का बाजार कहा जाता है, क्योंकि यहां पर यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि जिसमें व्यक्ति अपने पैसे इन्वेस्ट कर रहा है, उसमें उसे फायदा ही होगा या फिर नुकसान ही होगा।
शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट दो प्रकार से किया जाता है जिसमें पहला प्रकार है प्राइमरी मार्केट में और दूसरा प्रकार है सेकेंडरी मार्केट में। प्राइमरी मार्केट में व्यक्ति आईपीओ में इन्वेस्ट करता है, जबकि सेकेंडरी मार्केट में व्यक्ति स्टॉक मार्केट में जितने भी शेयर लिस्टेड होते हैं,उसमें अपने पैसे डालता है। शेयर मार्केट से संबंध रखने वाले अधिकतर लोगों को आईपीओ के बारे में जानकारी नहीं होती है। आज के इस आर्टिकल में जानेंगे कि IPO का मतलब क्या होता है, IPO Ka Full Form Kya Hota Hai, IPO Meaning In Hindi, What Is IPO Full Form In Hindi की जानकारियां तो, आइए जानते है।
IPO का फुल फॉर्म क्या होता है? – What Is IPO Full Form In Hindi?

IPO : Initial Public Offering
IPO का Full Form “Initial Public Offering” होता है। हिंदी में IPO का फुल फॉर्म “प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव” होता है। शेयर मार्केट में सभी कंपनियां खुद को लिस्टेड करा कर अपनी कंपनी के शेयर को निवेशकों को सेल करती है। यह अपने बिजनेस को Grow करने के लिए, अपने दूसरे खर्चों को पूरा करने के लिए अन्य उपायों का इस्तेमाल करती है। यह फंड इकट्ठा करती है। लोगों के बीच पहली बार Share बेचने की जो प्रक्रिया होती है,उसे ही आईपीओ के नाम से जाना जाता है।गवर्नमेंट कई बार विनिवेश की नीति के अंतर्गत आईपीओ लाती है।
आईपीओ में कीमत कैसे तय होती है?
आईपीओ में कीमत दो प्रकार से तय होती है जिसमें पहले प्रकार में आईपीओ में कीमत प्राइस बैंड के आधार पर तय होती है और दूसरे प्रकार में आईपीओ की कीमत फिक्स प्राइस ईशु के आधार पर तय होती है।
प्राइस बैंड क्या है?
ऐसी सभी कंपनियां अपने शेयरों की क़ीमत तय कर सकती हैं,जिन्हें आईपीओ को लाने की परमिशन प्राप्त है। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर और कुछ दूसरी फील्ड की कंपनियों को सेबी और अन्य बैंकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से परमिशन लेनी जरूरी है। हमारे देश में 20% प्राइस बैंड की परमिशन है।
लास्ट प्राइस क्या है?
जब लास्ट प्राइस तय हो जाती है, तब किसी भी प्राइस के लिए बोली लगाई जा सकती है। व्यक्ति चाहे तो कटऑफ पर भी अपनी बोली लगा सकता है। कंपनियां ऐसे कीमत तय करती हैं,जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर सेल हो जाएंगे।
आईपीओ की प्रक्रिया क्या है?
इनिशियल पब्लिक आफरिंग बुक बिल्डिंग और फिक्स प्राइस के द्वारा पूरा होता है। फिक्स प्राइस विधि में जिस कीमत पर शेयर प्रेजेंट किए जाते हैं, उसकी कीमत पहले से ही तय कर दी जाती है। बुक बिल्डिंग में शेयरों की कीमत का दायरा तय होता है। इसके अंदर इन्वेस्टर द्वारा बोली लगाई जाती है। बुकरनर की सहायता के द्वारा प्राइस बैंड का निर्धारण होता है।
आईपीओ मनी क्या है?
जो भी इन्वेस्टर आईपीओ में पैसा लगाता है, वह पैसे सीधा कंपनी के पास चले जाते हैं। विनिवेश के मैटर में आईपीओ से मिलने वाले पैसे गवर्नमेंट के पास जाते हैं। शेयरों की ट्रेडिंग की परमिशन मिलने के बाद शेयर रखने वाले अपने शेयर को बेच सकते हैं या फिर नए शेयर खरीद सकते हैं। इसमें मिलने वाला फायदे तथा नुकसान शेयर धारक को ही झेलना पड़ता है।
निष्कर्ष
मुझे उम्मीद है की आपको IPO क्या होता है? और IPO Full Form In Hindi की पूरी जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी। अगर अभी भी आपके मन में What Is IPO Full Form In Hindi, IPO Kya Hai और Full Form Of IPO In Hindi को लेकर कोई सवाल हो तो, आप बेझिझक Comment Box में Comment कर पूछ सकते हैं।
अगर आपको IPO (Initial Public Offering) की जानकारी अच्छी लगी हो तो आप अपने परिवार और दोस्तों के शेयर कर सकते है ताके IPO Kya Hai और IPO Full Form In Hindi के बारे में सबको जानकारी प्राप्त हो सके।
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